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Saturday, November 16, 2013

Photos from Dhar program





















8 comments:

  1. mat pita tum mare sharan gahu mai kiski tum bin or na duja asss karu mai kiski maa sabko dua dena

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  2. immediate vibrations within 5 mintues

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  3. Programme at Dhar has been another manifestation of DIVINE LOVE. Tremendous vibrations were felt allround. One SY commented "AAJ HAME SWARG KI ANUBHUTI HUI HAI." Everything is clear. JSM Ji.
    Ratan Purwar

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  4. धार (म.प्र.) की भोजशाला का वह स्‍थान जहां न्‍यायालय के निर्णय अनुसार मंगलवार को हिन्‍दू पूजा करते व शुक्रवार को मुस्लिम नवाज अदा करते है। लोटस फीट टीम दिल्‍ली की टीम ने 16 व 17 नवम्‍बर 2013 को दो दिनी गहन ध्‍यान कार्यक्रम आयोजित किया, इस कार्यक्रम में आसपास के लगभग 500 सहजयोगी भाई बहिनो ने भाग लेकर आनंद प्राप्‍त किया। हमे यह बताकर गर्व महसूस हो रहा है कि धार के आसपास का क्षेत्र आदिवासी बहूल क्षेत्र है, और यहां सेकडो व्‍यक्ति सहजयोग का लाभ ले रहे है। आईए हम धार शहर मे स्थित भोजशाला का इतिहास और एक विडियो क्‍लीप को देखे। --------- मध्‍यप्रदेश सहजयोग समिति।

    धार में परमार वंश के राजा भोज ने 1010 से 1055 ईवी तक 44 वर्ष शासन किया। उन्होंने 1034 में धार नगर में सरस्वती सदन की स्थापना की। यह एक महाविद्यालय था जो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुआ। राजा भोज के शासन में ही यहां मां सरस्वती या वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई।

    महमूद खिलची का निर्णय

    1305 से 1401 के बीच अलाउद्दीन खिलजी तथा दिलावर खां गौरी की सेनाओं से माहलकदेव और गोगादेव ने युद्ध लड़ा। 1401 से 1531 में मालवा में स्वतंत्र सल्तनत की स्थापना। 1456 में महमूद खिलजी ने मौलाना कमालुद्दीन के मकबरे और दरगाह का निर्माण करवाया।

    खुदाई में मिली प्रतिमा

    मां वाग्देवी की प्रतिमा भोजशाला के समीप खुदाई के दौरान मिली थी। इतिहासकारों के अनुसार यह प्रतिमा 1875 में हुई खुदाई में निकली थी। 1880 में भोपावर का पॉलिटिकल एजेंट मेजर किनकेड इसे अपने साथ लंदन ले गया।

    1909 से संरक्षित

    1909 में धार रियासत द्वारा 1904 के एन्शिएंट मोन्यूमेंट एक्ट को लागू कर धार दरबार के गजट जिल्द में भोजशाला को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया। बाद में भोजशाला को पुरातत्व विभाग के अधीन कर दिया गया।

    1935 में नमाज की अनुमति

    धार स्टेट ने ही 1935 में परिसर में नमाज पढऩे की अनुमति दी थी। स्टेट दरबार के दीवान नाडकर ने तब भोजशाला को कमाल मौला की मस्जिद बताते हुए को शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति वाला आदेश जारी किया था।
    http://mightytext.net/zt5QO

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  5. The vibration were tremendous. I felt that Shri Mataji was not only present in the programme but also herself conducting the programme. Every chakra got cleared.

    Shri Mataji is always present with all SY, could be felt from one small incident. Two SY came with us from Dhar to catch train for Kanpur. They had no train reservation. We missed the route somewhere near Indore and we could reach Bhopal at around 1045 PM. At 1115 PM, we got the message that the two SY not only got the train, but reservation also and the train had left Bhopal. There was no time even for boarding the train, but they not only boarded the train but got reservation also. JAI SHRI MATAJI.

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