वर्धा, सहज योग ध्यान कार्यशाला, ८-९ अक्टूबर २०११
परम पूज्य श्री माताजी की असीम कृपा व् दिव्य आशीर्वाद फलस्वरूप वर्धा सहज परिवार का श्री माताजी से सम्पूर्ण एकाकारिता तथा परम चैतन्य का निरानंद पाने का सुखद सपना साकार हुआ ८-९ अक्टूबर २०११ को आयोजित सहज योग ध्यान की एक कार्यशाला में. इस कार्यशाला का आयोजन वर्धा सहज परिवार द्वारा आयोजित किया गया था जिसका उद्देश्य ध्यान में निर्विचारिता का अनुभव प्राप्त करने का था जो कि ध्यान कि प्रथम अवस्था है जैसे कि परम पूज्य श्री माताजी ने बताया हुआ है . इस कार्यशाला में वर्धा, नागपुर, मुंबई, चेन्नई, बंगलुरु, विदेश तथा दिल्ली के लगभग ५०० सहज योगीओं ने भाग लिया व् सामूहिक ध्यान का अविस्मरणीय आनंद प्राप्त किया.
कार्यक्रम का शुभ आरंभ 8 ता. को दोपहर २ बजे महामंत्रों के उच्चारण से किया गया .उसके उपरांत सर्वप्रथम श्री माताजी कि स्तुति उनके पावन चरणों में अर्पित करके परम पूज्य श्री माताजी का अभिनन्दन किया गया. कार्यशाला के आरंभ से ही परम चैतन्य का अनुभव शीतल लहरिओं व् आत्मिक शांति के रूप में उपस्थित सभी योगीओं को श्री माताजी की कृपा से हटात प्राप्त होना शुरू हो गया . जैसे जैसे सभी साधक परम पूज्य श्री माताजी को अपने हृदय में प्रार्थना के माध्यम से स्मरण करने लगे वैसे वैसे हें निर्विचारिता का आनंद का प्रवाह बहना शुरू हो गया. इस अनुभव को प्राप्त करने का साधन था श्री माताजी को सम्पूर्ण रूप से आस्था व प्रेम से अपने हृदय में आवाहन करना . अपने को उनके श्री चरणों में पूर्णतया समर्पित कर देना. इसके लिए किसी भी विशेष प्रयास या तकनीक के आवश्यकता नहीं है केवल प्रार्थना द्वारा ही श्री आदिशक्ति श्री माताजी द्वारा उनके फोटो के समीप ध्यान में दोनों हाथ सामने फैला कर निर्विचारिता कि मात्र इच्छा प्रगट करने से हमें यह अनुभव प्राप्त होना शुरू हो जाता है .
इस अनुपम अनुभव को वहां उपस्थित सभी सहजी भाईओं व् बहनों ने स्वयं प्रत्यक्ष अपने नाडी तंत्र पर आत्मसात किया . परम पूज्य श्री माताजी के नाम 'श्री माताजी" को एक महामंत्र के स्वरुप सम्पूर्ण श्रध्दा तथा भक्ति से स्मरण करने मात्र से कैसे श्री माताजी हमारे सभी चक्र व् नाड़ियों पर अपनी शक्तिओं द्वारा चैतन्य की वर्षा करके उन्हें निर्मल कर देती हैं इसका सभी ने व्यक्तिगत रूप से अनुभव प्राप्त किया. इस कार्यशाला का सञ्चालन इस प्रकार किया गया था कि श्री माताजी के फोटो व् उनके
साधकों के बीच में कोई व्यक्ति या तकनीक या कोई अन्य किसी प्रकार के प्रयास के रहित हम श्री माताजी से परम चैतन्य अत्यन सहजता व सुलभता से पा सकते हैं इस अनुभूति को सभी स्वयं अनुभव करें जैसा कि श्री माताजी ने अपने अनेकों उपदेशों में हमें बताया हुआ है . कार्यशाला के दौरान श्री माताजी के गुणगान में अत्यन मनोहर स्तुति दिल्ली , वर्धा व् अन्य जगहों के सहजी योगीओं द्वारा सामूहिक गाई गयीं व् श्री माताजी के निर्विचारिता तथा समर्पण पर उनके प्रवचनों के अंश भी सभी ने सम्पूर्ण एकाग्रता व् प्रेम से सुने .
जैसे जैसे कार्यक्रम संध्या की ओर अग्रसर होने लगा त्यों त्यों परम पूज्य श्री माताजी के आशीर्वाद रूपेण निर्विचारिता का आत्मानंद का अनुभव और प्रगाढ़ होने लगा तथा सभी इसमें ओत प्रोत होते चले गए. सभी के अन्दर परम चैतन्य का प्रकाश प्रस्फुटित होता प्रतीत हो रहा था. यह परम पूज्य श्री माताजी कि अद्भुत दिव्य शक्तिओं का प्रत्यक्ष प्रमाण था अपने प्रिय शिष्यों व् बच्चों के लिए.
अगले दिन 9 ता. को कार्यक्रम प्रातः ९ बजे आरंभ किया गया . बहुत से नए साधक सम्पूर्ण उत्साह के साथ उपस्थित थे व् अन्य सभी सहजी भी समय से पहले ही अपना स्थान ग्रहण किये हुए थे. पूरा भवन श्री माताजी के
फोटो के सामने नत मस्तक था. नए आये हुए सहजियों को संक्षेप में अब तक हुए अनुभव कि पुनरावर्ती करायी गयी तत्पश्यत अपने चक्रों को किस तरह से हम श्री माताजी से प्रार्थना करके निर्मल कर सकते हैं यह दर्शाया गया .
फोटो के सामने नत मस्तक था. नए आये हुए सहजियों को संक्षेप में अब तक हुए अनुभव कि पुनरावर्ती करायी गयी तत्पश्यत अपने चक्रों को किस तरह से हम श्री माताजी से प्रार्थना करके निर्मल कर सकते हैं यह दर्शाया गया .
इसके लिए सभी ने अपना दावा हाथ (left ) श्री माताजी कि तरफ किया और अपना उर्ध्वा हाथ (right ) अपने चक्रों पर मूलाधार से आरंभ करते हुए रखा . इसके साथ साथ हर चक्र पर विनम्रता से श्री माताजी का ध्यान करते हुए विनती की गयी कि श्री माताजी कृपा करके हमारे इस चक्र को आप स्वछ कर दीजिये. जैसे जैसे श्री माताजी को अपने चित्त में समर्पण करते हुए सभी प्रार्थना अर्पित करते गए वैसे वैसे निर्विचारिता का अनुपम आनंद सभी के ह्रदय में हिलोरें लेने लगा. सभी ने अनुभव किया कि मानों हमारे और श्री माताजी के अलावा पूरे भवन में कोई अन्य नहीं था .
केवल श्री माताजी व् केवल श्री माताजी अपनी सम्पूर्ण शक्तिओं के साथ अपने बच्चों कि पुकार सुन कर वहां निराकार में साकार होने कि अनुभूति सभी को प्राप्त हुई. इसके उपरान्त सभी ने यह अनुभव किया कि यदि निर्विचारिता में हम अपनी किसी भी प्रकार कि कोई भी समस्या श्री माताजी फोटो के सामने अपने हृदय में उनको बताते हैं व् उसका समाधान श्री माताजी कि इच्छा पर अर्पित कर देते हैं तो वह जो भी आशीर्वाद देते हैं वह हमारे हित में होता है. हमें अपनी समस्याओं को श्री माताजी को बताने के बाद उसके विषय में विचार नहीं करना चाहिए व् यह विश्वास होना चाहिए कि श्री माताजी हमारा सम्पूर्ण क्षेम देखती हैं और कोई भी बाधा हम इस प्रकार पार कर सकते हैं .
यह अनुभव वहां उपस्थित योगीओं ने अपनी समस्याओं को श्री माताजी को मन ही मन अर्पित कर के उसके बाद निर्विचारिता के माध्यम से प्राप्त किया और इसकी गहनता को आत्मसात किया. युवा शक्ति के बच्चों को मंच पर श्री माताजी के फोटो के सामने बैठ कर सभी ने दावा हाथ (left ) श्री माताजी की तरफ किया और अपना उर्ध्वा हाथ (right ) सामने की और कर के चैतन्य (vibrations ) का पारस्परिक अदान प्रदान करने का सुखद आनंद की अनुभूति प्राप्त की. अंत में सभी ने अपने अनुभव सामूहिकता को बताये व् उल्हास से परिपूर्ण श्री माताजी के प्रेम में सरोबार सभी ने आरती गायी व् कार्यक्रम को संपन्न किया गया. हम सभी श्री आदिशक्ति परम पूज्य श्री माताजी को इस अद्भुत अनुभव के लिए हृदय से कोटि कोटि प्रणाम अर्पित करतें हैं .
जय श्री माताजी
Photograph’s Link : https://picasaweb.google.com/104065791801321577474/WhCVDG?authuser=0&feat=directlink
EXPERIENCES/COMMENTS :
Feedback of Wardha Sahaj yogis regarding Seminar held at on 8-9 th october 2011
1) The way we did meditation was different in the sense we enjoyed thoughtlessness (Nirvicharita) . I felt too much depth while meditation and found our attention completely at the holy feet of H.H. Shrimataji.
S.K. Avghad
2) Seminar on 8 & 9 of Oct was unique . Here I found how only by saying Shrimataji from bottom of heart Kundalni starts working and we achieve state of thoughtlessness.
Lot of difference in depth has been noticed during meditation at home after this programme. I am really happy that through this programme we were blessed by H.H. Shri Mataji.
Atul Ingole
Wardha City-Cordinator
Mahadev Loti, Wardha
4) During this seminar I realized that except Shrimataji no one matters to me in this life.
I got my Chakras cleansed and felt lightness in the heart.
Arun Khodke
5) First day I found my hand totally cooled due to vibrations. Second day I enjoyed thoughtlessness. I was not able to understand marathi local language bhajans even though I felt kundali shakti doing her moves inside because of the beautiful sahaj atmosphere. I am not able to sit at floor but during seminar I was totally able to comfortable sit without any pain.
(Name Not Mentioned on form)
6) I felt like I am at Shrimataji’s home when I reached to programme. I felt like I am in heaven and a divine fragrance was present there.
Narayani
7) I am really greateful and would like to express my sincere thanks to Shrimataji . By This programme I felt vibration in real sense and the environment was very joyous.
Mahaendra Chandurkar
8) I found charkas cleared and increased vibration on both hands.
V. N. Mandavkar
9) During meditation, vibrations were at peak and during song “ Sahastrar par jab brahm shodhale Brahmand melale.” I found tears in my eyes and in each drop realization of shrimataji.” I had never experienced this before and it was awesome simply awesome.
Shrimataji tara Vilachi
10) From the workshop the very interesting part that I found is weightage of word i.e. “Shrimataji” . I got to know from this workshop that we must have our heart full of devotion , its not about how many mantras we have mugged up. Whenever there is problem place your right hand there and with whole dedication say Shrimataji and get your problem solved.. I feel such workshop should take place time and again .
Prashant Zade.
11) We felt thoughtlessness and the moment we keep our hands towards Shrimataji a drastic change in vibrations and sense of satisfaction is felt.
Asha namdeo Hedawu
From : Gp. Capt. Mohandass mohan.p299@gmail.com
- The workshop at Wardha was conducted on 8 and 9 Oct 11 at a
Mangal karyalay nearing completion and belonging to a Sahajyogi.
Wardha is about two hours drive from Nagpur and about 500 odd seekers
from Wardha and nearby towns and villages had attended the program.
The highlight of the program were the following-
Just by chanting the Divine Mother's name has the effect of a Mantra
All the situations we face in our life are a reflection of the state
of our subtle system.
Doing the movements of the bandhan slowly with feeling of awe for Mother in
collective improved the individual sensitivity
- We should have Faith on the Mother and believe that she will cure us
of the problem whenever SHE deems fit.
2. It was a pleasure to hear that there are villages in the vicinity
where there are sahajyogis in thousands in each one of them. It
would be a privilege of life time if one gets an opportunity to sit
with all of them in a workshop.
3. Looking forward to participating in many such programs that i
consider as a bounden duty of every Sahajyogi and which goes to
fulfill the Divine Vision of our Goddess.
Mohandas
gp capt.
Experience at the Meditation Workshops in Navi Mumbai and Wardha---
We were blessed to attend the recently held ‘Festival of Meditation’ in Navi Mumbai and the two days Meditation Seminar in Wardha near Nagpur. O, What a treat it was for our Atma! The sessions in which only and only the power of Shri Mataji’s name taken from the heart with devotion and complete surrender to go deeper and deeper into meditation is felt and imbibed were so tremendous, powerful and amazing that after the sessions we were in a state of absolute silence and bliss. No words can do justice to describe the experience which must be felt by all those desiring for nothing else but their absolute ascent and growth. The sessions which were completely and totally based on the experience of Meditation were so beautiful and vibrant that for days afterwards we could still feel the effect. This is what meditation is and should be for all us Sahaja Yogis. This is how seminars should be and must be conducted where there are no human lectures but just and only the Divine Experience. ‘Shri Mataji’, the most powerful, the most beautiful name in the entire cosmos. Just taking this name from the heart with absolute shraddha and humility takes us into meditation and this was the main emphasis of both the sessions – to feel within - in all entirety, the Power of The Most Powerful Name In the Entire Cosmos.
We thank Shri Mataji from our hearts for giving us the opportunity to attend such beautiful Meditation Workshops which was very aptly named by the Navi Mumbai Yogis as a ‘Festival Of Meditation’ which indeed it was and we pray to Shri Mataji to allow such Meditation Workshops in every Sahaja collective of this world and to prepare Her instruments to do likewise.
--- Reeva Anand, New Delhi